Suryabhedi Pranayam : Yoga for All Health Problems in Winters | वनइंडिया हिंदी

2019-12-19 2

The specialty of Suryabhedi Pranayama is that the complementary action is done through the right pore of the nose. The right pore of the nose is called the sun tone and the left is called the moon tone. In the process of inhaling the breath through the right hole, the energy flows through the Pingala Nadi i.e. the Surya Nadi. In exhaling from the left pore, energy flows through the Ida pulse or the lunar pulse. The regular practice of sun piercing pranayama increases the lifespan and also helps in Kundalini awakening.

सुर्यभेदी प्राणायाम की विशेषता होती है की इसमें पूरक क्रिया नाक के दांये छिद्र से की जाती है | नाक के दांये छिद्र को सूर्य स्वर और बांये को चन्द्र स्वर कहते है | दांये छिद्र से श्वास को अंदर लेने की क्रिया में प्राण उर्जा पिंगला नाड़ी अर्थात सूर्य नाड़ी से प्रवाहित होती है | श्वास छोड़ने की क्रिया बांये छिद्र से करने में प्राण उर्जा इडा नाड़ी या चन्द्र नाडी से प्रवाहित होती है | सूर्य भेदी प्राणायाम के नियमित अभ्यास से उम्र बढती है एवं कुंडलिनी जागरण में भी सहायता करता है |

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